पुणे, संथारासाधिका उपप्रवर्तिनी प. पू. डॉ प्रियदर्शनाजी म. सा. का 68 वे दिन पुणे कोथरुड में संथारा सहित देवलोक गमन हो गया है।
घोड़नदी के चोपड़ा परिवार के आंगन को दमकाकर जिन्होंने जिनशासन की प्रभावना करने के लिए संयम रूपी कटीले पथ को अपनाया।
उपप्रवर्तिनी डॉ प्रियदर्शनाजी म. सा. का आयु 86 वर्ष एवं दीर्घ दीक्षा पर्याय 65 वर्ष का था।आपने आपके जीवन में सदैव स्वाध्याय का चिंतन किया। प. पू. प्रणवदर्शनाजी म. सा., प. पू. ईशदर्शनाजी म. सा. पर उपप्रवर्तिनी प. पू. डॉ प्रियदर्शनाजी म. सा. की कृपादृष्टि, आपकी छत्रछाया निरंतर बरसी। आपका प्रेम वात्सल्य सभी संत सतीयों के प्रति इतना था, लगभग 20 – 35 किलोमीटर के आस पास के कई संत सतीयां आपके दर्शनार्थ पधारे थे । ऐसा सजग जागरूक अवस्था का संथारा व्रत जो अभी के काल में दुर्लभ हैं। हजारों की संख्या में रोज दूर-दूर से दर्शनार्थ आपके दर्शनार्थ पधारते थे। सजग अवस्था में अपना तीसरा मनोरथ पूर्ण कर उन्होंने अपना मनुष्य भव सफल किया है।
आप जल्द ही अष्ट कर्मों को खपाकर मोक्ष के अव्याबाध सुख प्राप्त करें, यही जैन परम्परा की ओर से मंगलभावना !