पर्युषण महापर्व में हंसते-खलते अपना सकते हैं… यह त्याग प्रत्याख्यान
पर्युषण महापर्व को सफल बनाने के लिए यथाशक्ति नीचे दिए हुए नियम जरूर अपनाएं और पर्युषण महापर्व को सफल बनाएं।
1) संत दर्शन करना ।
2) सूत्र श्रवण करना।
3) प्रवचण श्रवण करना।
4) प्रतिक्रमण करना ।
5) प्रार्थना करना ।
6) नवकार मंत्र की माला फेरना ।
7) बडो को प्रमाण करना।
8) जमीकंद का त्याग ।
9) रात्री भोजन का त्याग ।
10) सचित लिलोत्री का त्याग ।
11) अचित लिलोत्री का त्याग।
12) तिविहार करना।
13) हॉटेल का त्याग ।
14) बाहर की खादय चिजों का त्याग ।
15) नवकारसी करना ।
16) फुलों का त्याग ।
17) क्रोध तथा कलह का त्याग ।
18) चप्पल जुते का त्याग ।
19) 3 वाहन के उपर का त्याग ।
20) उपर से नमक नही लेना।
21) भोजन करते समय मौन करना।
22) द्रव्य की मर्यादा करना।
23) एक विगय का त्याग करना ।
24) पाच विगय का त्याग करना ।
25) 30 मिनीट या 1 घंटे का समय अनुसार
मौन ।
26) आइस्क्रीम, शीतपेय आदि का त्याग ।
27) T.V. का त्याग।
28) इंस्टा, फेसबुक का त्याग।
29) व्हाट्सएप का त्याग।
30) बिना जरूरत के मोबाइल का उपयोग नहीं करना।
31) भोजन करने के बाद थाली धोकर पीना ।
32) सिल्क वस्त्र का त्याग ।
33) खादी वस्त्र का त्याग ।
34) सचित जल का त्याग।
35) ब्रम्हचर्य का पालन करना।
36) स्वाध्याय फेरना।
37) मेकअप का त्याग।
38) गद्दी, तकिया का त्याग ।
39) कोई खरिदी नही करना।
40) मिठाई का त्याग या 3 से जादा मिठाई का त्याग ।
41) यथाशक्ति दान देना।
42) किसी पर हाथ उठाना नहीं।
43) शहद, मख्खन का त्याग ।
44) धार्मिक पुस्तक १० मिनट पढ़ना।
45) चौदह नियम लेना।
46) 3 मनोरथ का चिंतन ।
47) कपडे धोना नही ।
48) सुंगधी द्रव्य का त्याग ।
49) तली हुई चिजों का त्याग।
50) ड्रायफ्रूट्स का त्याग।
51) रोज १५ मिनीट जाप करना ।
52) सिनेमा जाने का त्याग।
53) सेंट, परफ्युम लगाना नही।
54) पोरसी करना ।
55) बीयासना करना ।
56) एकासना करना।
57) दया करना।
58) उपवास करना ।
59)आयबिंल करना।
60) खुराक से कम खाकर उनोदरी तप करना।
61) अश्लील चुटकुले या सन्देश या विडियो या ऑडियो भेजने का त्याग।
62) शहर से बाहर घुमने जाने का त्याग।
63) किसी के भोज में जाने का त्याग।
64) अनावश्यक वाहन के उपयोग का त्याग।
65) संवत्सरी के दिन व्यापार बंद रखें और नौकरी करने वाले, बच्चों को, युवकों को रविवार होने के कारण छुट्टी ही रहेगी, खूब धर्म साधना करें।
66) संवत्सरी को हो सकें तो चौविहार उपवास अन्यथा तिविहार उपवास करने का लक्ष रखे।
67) संवत्सरी को अष्टप्रहरी, चतुष्प्रहरी पौषध कर कम से कम एक दिन के लिए तो साधु वेष स्वीकार करें।
68) सबसे महत्वपूर्व यह है कि जिनसे आपका वैर-विरोध या मन-मुटाव है उनसे खमत-खामणा या मिच्छामि दुक्कड़म अवश्य करें, वरना आपका जैनी कहलाना केवल औपचारिक होगा।