चातुर्मास की सुंदर घड़ियों ने हमारे आंगन में दस्तक दी है। यह अनुपम घड़ियां हमारे जीवन में रिमझिम बारिश की तरह ज्ञान, दर्शन, चारित्र, तप की बरसात लेकर आती है। चातुर्मास का स्वागत शुभ भावना से अपने आत्मा को पवित्र पावन बनाने के लिए किया जाता है। जिस तरह घर के सामने रिबन कट करके घर का इनॉग्रेशन किया जाता है, उसी प्रकार हमारे हृदय रूपी घर में प्रभु परमात्मा को बैठाकर हमारे आत्मा का इनॉग्रेशन इस चातुर्मास की शुभ घड़ियों में करना है।
जिनेश्वर और जिनशासन पर करें विश्वास,
यह है चातुर्मास !
मन को शुभ दिशा में ले जाए,
यह है चातुर्मास!
आत्मा को परमात्मा बनाने वाला,
यह है चातुर्मास !
वृक्ष का रूट (आधार) अच्छा हो तो वृक्ष खड़ा रहता है, वैसे ही हमारे जीवन का रूट अध्यात्म है, अगर वह मजबूत होगा तो निश्चित ही जीवन का वृक्ष सही सलामत रहेगा।
चातुर्मास का यह पर्व वर्ष में तीन बार आता है। इस चातुर्मास में हम धर्म आराधना करके अपने जीवन को धन्य बनाने का प्रयास करते हैं। लेकिन हमारी आराधना आज तक सफल क्यों नहीं हो रही है ?क्योंकि हमने अभी तक प्रवृत्ति से निवृत्ति की ओर कदम नहीं बढ़ाया। चातुर्मास शुरू होता है तो 2 महीने हम जमीनकंद, रात्रि भोजन का त्याग आदि नियम लेते हैं लेकिन उसके बाद क्या ? महत्वपूर्ण यह नहीं कि हम धर्म कितना करते हैं ? पर महत्वपूर्ण तो यह है कि हमने पाप को कितना रोका ? पाप से कितना पीछे हटे ? वास्तव में निवृत्ति लेना महत्वपूर्ण है।
दो बातें याद रखनी चाहिए – End और Send। पाप के प्रवृत्ति को End करना है और जिनवाणी, प्रभुवाणी को Send करना है। हमें धर्म में रिटर्न होना है, धर्म से रिटर्न नहीं होना है।
चा – चार कषाय को छोड़ने चातुर्मास आया है।
तु – तुरंग यानी घोड़ा, मन रूपी घोड़े को वश करना है।
र – रमन करना है, आगम में, आत्मा में।
मा – मां बनना है छह काय जीवों की।
स – सजग बन जाइए।
जरूर इन बातों से यह चातुर्मास सफल बनेगा।
आत्मा को उन्नति की ओर ले जाने वाला यह पर्व है , इसी के साथ गुरु पूर्णिमा का भी आज पर्व है। हमारे गुरु के उपकारों को स्मरण करने एवं उनकी कृतज्ञता ज्ञापित करने का आज पावन दिन है। हमारे सारे दोष, पाप गुरु के सामने प्रकट करके दोष मुक्त होकर गुरु कृपा प्राप्त करने का अनमोल समय है।

चातुर्मास के चार माह संत सतीयां एक स्थान पर रहकर धर्म आराधना करते है, श्रावक भी इन चार माह में संसार में रहते हुए अपने जीवन में तप, त्याग, जप आदि के द्वारा धर्म आराधना करने का प्रयास कर चातुर्मास की घड़ियों को सफल बनाते हैं।