माताजी सौ. कमलादेवी प्रकाशचंदजी कर्णावट का जन्म 25 अप्रैल 1951 में वडगांव मावल के एक संपन्न परिवार में हुआ। पिता अमरचंदजी टाटिया एवं माता रुक्मिणीदेवी ने उन्हें बड़े ही अरमानों से पाला।
बचपन से ही आपको आध्यात्मिकता के तरफ रुझान था। गुरुभगवंतो का सानिध्य मिलने से धर्म, ध्यान, त्याग, तपस्या में बड़ी ही रुचि थी। पुणे के कोरेगांव भिवर धनराजजी कर्णावट परिवार में 9 मे 1968 को आपका विवाह हुआ। चार पुत्रीयां एवं एक पुत्र को आपने उच्च शिक्षा देकर उनका जीवन बनाया, उन्हें कर्तृत्ववान बनाया।
1970 में आपके जीवन में ओसिया एवं अंबा माताजी प्रकट हुए। आपने इस शक्ति को सत्कार्य में लगाने का निश्चय किया। सभी साधु-संतों ने भी आपको यही प्रेरणा दी कि आपकी यह शक्ति आप अच्छे मार्ग में लगाइए। हजारों लोगों के दुख दर्द मिटाने की आप आपके आशीर्वाद और मार्गदर्शन से दवा और दुआ बन गए। आपके आशीर्वाद से किसी को खोया हुआ धन मिल जाता तो कोई संतान को प्राप्त कर लेता। कोई परीक्षा में अव्वल आ जाता तो किसी की बीमारी छूमंतर हो जाती। न जाने कितने सारे परचों से भक्तगणों का जीवन ही बदल जाता।
आपने आपके जीवन में कई धार्मिक-सामाजिक कार्य किए हैं। व्यसन मुक्ति, गौ सेवा के लिए तो आप सदैव तत्पर रहते थे। माताजी के मंदिर में हर पंथ के लोग आते हैं, न जाने कितने ही लोगों का माताजी ने मांसाहार छोड़ा है बेसन को उनके जीवन से दूर किया है निरपेक्ष भावना से आपने लोगों की सेवा की। पैसों को हमेशा गौण रखकर आपने सत्कार्य को प्राध्यान दिया। आपने जैसे-जैसे लोगों की सेवाएं करना प्रारंभ किया, वैसे-वैसे माताजी के आशीर्वाद से आपका दिव्यशक्ति दिन पर दिन बढ़ते ही गई। आपके घर पर भक्तों की भीड़ लगी हुई रहती थी। कई सारे बच्चे उनकी किताबें आपके पास लेकर आते और कहते माताजी हमें मार्किंग कर दीजिए ताकि हम अच्छे गुणों से उत्तिर्ण हो जाए। डॉक्टरर्स, इंजीनियर, सीए आदि अनेक उच्च शिक्षित बच्चों ने माताजी के आशीर्वाद से सफलता प्राप्त की हैं। माताजी में सब अपने मां का स्वरूप देखते और अपने जीवन का दुख दर्द बयां कर देते, उन्हें लगता माताजी हमारे दुख को हरण कर देंगे और इसका साक्षात्कार कईयों ने अनुभव भी किया है।
वैदिक धर्म के साथ जैन धर्म पर भी आपकी असीम श्रद्धा हैं। परम पूज्य आनंदऋषिजी म. सा. के आशीर्वाद एवं प्रेरणा से आदिनाथ सोसायटी स्थानकवासी ट्रस्ट पुणे में आपने ब्राह्मी पाठशाला, चेलना महिला ग्रुप की स्थापना की थी। लेक टाउन स्थानक के आप अध्यक्ष है। आपके ही कार्यकाल में और आपके ही प्रेरणा से लेक टाउन सोसायटी में स्थानक का कार्य अभी-अभी पूर्ण हुआ है।
अपने जन्मदिन पर केक कट करना और दूसरों को पार्टी देने के बजाय हजारों लोगों की नौ प्रकार के पुण्य के माध्यम से सेवा करना, आपको बहुत पसंद है। अन्न दान, पान दान, वस्त्र दान, अंधे लोगों के लिए कला सिखाई, रक्तदान, आई कैंप, स्कूल में किताब वितरण, वृक्षारोपण आदि कई सारे सामाजिक कार्य आपने किए हैं। माताजी कमलादेवी प्रकाशचंदजी कर्णावट प्रतिष्ठान नाम से आपका एक ट्रस्ट भी है। जिसके माध्यम से आपने डायलिसिस सेंटर में डायलिसिस मशीन भी दी है, अनाथ अपंग की सेवा भी करते है। माता जी के दरबार में आया हुआ कोई भी भक्त कभी बिना खाना खाये निकलता नहीं है। अन्नदान करने का कोई मौका आप कभी छोड़ते नहीं है।
राजस्थान में ओसिया माताजी के दर्शन के लिए जब आप गए थे, तब आपने माताजी से प्रार्थना की थी, पुणे में भी आप प्रकट होना और उनका यह सपना साकार हुआ। पूरे महाराष्ट्र में केवल पुणे में ही कात्रज एवं भारती विद्यापीठ का सच्चियाय माताजी का मंदिर माताजी कमला देवी के प्रेरणा से ही हुआ है। माताजी के प्रेरणा से कई जगह मंदिर के निर्माण हुए हैं। माताजी को वाणी लब्धि ऐसी मिली है, कि वह जैसा कहते हैं, लगभग वैसा ही होता है। सुखसागर संघ की ओर से आदर्श माता पुरस्कार, सूर्यदत्त समाज रत्न पुरस्कार आदि कई पुरस्कार से माताजी को सम्मानित किया गया है। बेटा-बहू, बेटियां,पोता, दोयता, दोयती से माताजी का परिवार हरा-भरा है।
माताजी के पास कई भक्तगण आते हैं और अपनी मुरादे पूरी कर के जाते हैं। यह एक दैविक शक्ति है। माताजी की ख्याति देश-विदेश तक पहुंच गई है। पुणे, मुंबई, महाराष्ट्र ही नहीं भारत के कई क्षेत्रों के साथ बैंकॉक, हांगकांग, सिंगापुर, लंदन, न्यूयॉर्क आदि कई जगह से भक्तगण माताजी के दर्शन करने के लिए आते हैं और फोन पर भी जवाब पाकर खुश हो जाते हैं। जन-जन के दुखों का निवारण करने वाले प्यारे माताजी… ममता की साक्षात मूरत है…।