क्रोध : स्वयं का सबसे बड़ा शत्रु – जिनशासन प्रभाविका प. पू. चैतन्यश्रीजी म. सा. !

पुणे, प. पू. चैतन्यश्रीजी म. सा. ने अपने प्रवचन में क्रोध को जीवन का सबसे बड़ा शत्रु बताते हुए कहा कि यह प्रीति का नाश करता है और जीवन को खतरे से भर देता है। आपश्री ने समझाया कि जिस तरह अंधेरे को दूर करने के लिए रोशनी की जरूरत होती है, उसी तरह क्रोध … Read more

ज्ञानगंगोत्री पूज्या प्रभाकंवरजी म.सा. की अद्वितीय साधना, अटूट समर्पण और संघर्षों से तपा जीवन – जिनशासन प्रभाविका प. पू. चैतन्यश्रीजी म. सा. !

पुणे, आज जिनशासन की परम प्रभाविका, महाराष्ट्र प्रवर्तनी ज्ञानगंगोत्री पूज्य गुरुणीसा प्रभाकंवरजी महाराज साहब की 98 वीं जन्म जयंती है। इस पावन अवसर पर उनके अद्वितीय जीवन, कठोर साधना और अटूट समर्पण को स्मरण करते हुए, ‘श्री सदगुरु चैतन्य बहु मंडल’ की स्थापना की गई। गुरुणीसा का जीवन स्वयं दूसरों को प्रकाश देने वाली एक ‘मोमबत्ती’ … Read more

वंचित विकास संस्था की ‘ऋषि आनंदवन’ को सद्भावना भेंट !

पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक सद्भाव का अनूठा संगम ! पुणे, राष्ट्रसंत आनंदऋषिजी महाराज साहब के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में, वृक्षारोपण और पर्यावरण संरक्षण के अद्वितीय उपक्रम ‘ऋषि आनंदवन’ को वंचित विकास संस्था के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं द्वारा एक गहन अध्ययनपूर्ण सद्भावना भेंट दी गई। ‘ऋषि आनंदवन’ महाराष्ट्र का एकमात्र ऐसा वन है जिसे राजस्थान राज्य … Read more

जीवन का सच्चा ज्ञान: नित्य को पहचानें – जिनशासन प्रभाविका प. पू. चैतन्यश्रीजी म. सा. !

साधना सदन महावीर प्रतिष्ठान में पूज्य चैतन्यश्रीजी महाराज साहब ठाना 4 के प्रवचन हमारे जीवन के हर पहलू को गहराई से उजागर कर रहे हैं। महाराज साहब ने हमें बताया कि जीवन की इस यात्रा में सत्य की पहचान करना ही असली नित्य को जानना है। स्थायी कुछ भी नहीं, फिर भी हम उसी के … Read more

शांततेचा स्वभाव आणि मौनाची ताकद – प. पू. श्री मुकेश मुनीजी म. सा. !

पुणे, कधी, किती आणि कसे बोलावे – हे पूर्णपणे आपल्या हातात असते. अनेकदा मौन हेच सर्वश्रेष्ठ उत्तर ठरते. “जेव्हा पर्यंत बोलायला सांगितले जात नाही, तेव्हा पर्यंत न बोललेलेच चांगले,” ही धारणा अंगीकारली पाहिजे. मोलाचे तीन बोलण्याचे नियम: 1. मनामध्ये कोणतीही अडचण किंवा द्वेष न ठेवता बोलावे. 2. जेव्हा पर्यंत बोलणे आवश्यक वाटत नाही, तेव्हा पर्यंत … Read more