शिखर से बातेंप.पू आ.भ.श्रीमद् विजय रत्नसुंदरसूरीश्वरजी महाराज
अपने महल में जाकर सुरसुन्दरी ने त्रियाचरित्र दिखाना शुरु कर दिया। सर के बाल बिखेर लिए, कपड़े अस्त-व्यस्त कर लिए, हाथों से मसलकर आँखें लाल कर ली और मुँह बिगाड़कर पलंगपर सो गयी।कुछ ही देर में हरिषेण आया। बाहर खड़ी विमला से पूछा, ‘रानी कहाँ है ?’‘आप ही जाकर देख लीजिये न !’ विमला के … Read more