◆ प्रभु वर्धमान जिनवर सिद्धार्थ कूल चंदन
त्रिलोक पूजनीय है मां त्रिशला के नंदन
आलोकित है नवधरा दिव्य प्रकाश से
परमपिता महावीर को करें शत शत वंदन।
◆ भाव हैं तो भक्ति का सुमन जरुर खिलेगा
एक बार तो मुक्ति का सिंहासन भी हिलेगा
श्रद्धा की गहराई मोती चुना करती है
चंदना बन कर देखिए वर्धमान जरूर मिलेगा।
◆ अहिंसा का डंका लिए चले तुम
जिनवाणी का प्याला पिए चलो
महावीर का पावन संदेश है यही
जीने दो सभी को खुद भी जिये चलो तुम।
◆ इतिहास कांच के टुकड़ों का नहीं उज्जवल हीरो का बनता है
इतिहास घास के तिनकों का नहीं फौलादी तारों से बनता हैं
जीवन के संग्राम में जो हिम्मत के हथियार डाल देते हैं
इतिहास ऐसे कायरों का नहीं महावीर जैसे शूरवीरों का बनता है।
◆ जगत में जीव जितने हैं ,किसी को अन्य मत लेखो
सभी को प्राण प्यारे है, किसी पर जाल मत फेको
महावीर स्वामी की अहिंसा यह बताती है ,
अगर किसी को कुछ दे नहीं सकते,तो केवल प्यार से देखो ।
◆ अहिंसा का डंका, बजाया था वीर ने।
धर्म पर बलिदान, हटाया था वीर ने।।
अज्ञान अंधकार , मिटाया था वीर ने।
जियो और जीने दो, सिखाया था वीर ने।।
◆ पत्थर पत्थर ही होता है सोना नहीं होता
अपने लिए जीना कोई जीना नहीं होता ।
महावीर का संदेश है,जियो और जीने दो
अपने लिए जीना कोई जीना नहीं होता।
◆ त्याग की बात तो हर कोई करता है
सत्य का नारा तो हर कोई कहता है
उतारे कथनी को करनी बनाकर जीवन में
ऐसा महावीर तो एकाध हुआ करता है ।