जैन दीक्षा / दिक्षार्थी / संयम पर शायरी

Shayri For Jain Diksha / Diksharthi / Sanyam in Hindi

जैन धर्म में संयम को बहुत ही महत्व है। वास्तव में मणुष्य भव की सफलता संयम में ही है। संयम लेकर ही हम मोक्ष के अव्याबाध सुख को प्राप्त कर सकते हैं। बहुत ही कम ऐसे विरले होते हैं, जो दीक्षा लेकर अपना जीवन ऊंचा उठाते हैं। तो चलिए, ऐसे दीक्षार्थी भाई-बहनों का सत्कार करते हैं, अनुमोदना करते हैं। आज मैं आप सभी के साथ शेयर कर रही हूं, दिक्षा पर बनाई स्वरचित हिंदी शायरी, घोषवाक्य…

1] वैरागी बहन लेने जा रही है दीक्षा
                     घर-घर पहुंचाएंगी भगवान महावीर की शिक्षा।

2] मिली है आपको गुरु भगवंतो तो की छत्रछाया
                      जिनशासन ने अनमोल एक हीरा है पाया
    आप के समर्पण का कैसे करें हम बखाण
                     जिन धर्म में जिसने अपना भाग्य संवाया।

3] ” समयं गोयम मा पमायए ” करना सदैव स्मरण
                        संयम की सुवास से महकता रहे यह जीवन।

4] सिंह की तरह दीक्षा लेकर, सिंह की तरह पालना दीक्षा
                        स्मरण रहे सदैव अपने गुरु भगवंतो की  सद्शिक्षा।

5] संयम पथ पर चल रही है वैरागी बहन
                        चलिए सब मिलकर करते उनका अनुमोदन
    जिसने छोड़ दिया है घर संसार
                         ऐसी वैरागी का करते हम जय जयकार।
6] संयम पथ पर चलकर कर रहे धर्मराधना
                        दृढ़ता से पालना अपनी संयम साधना।
7] भगवान के तीर्थ को कर रहे हो दीपायमान
                       बढ़ा रहे हो आप जिन शासन की शान
    अष्ट कर्मों को खपाने करना पुरुषार्थ अपार
                         कि जल्दी मिल जाए मोक्ष रूपी धाम।

8] संयम लेना ही है मनुष्य भव का सार
                        कराता है  संयम हमें भवोभव पार
     कैसे गायें हम इस का गुणगान
                         त्रिलोक में होती है जय जयकार।

9] पुण्यवाणी की प्रभा खिल रही चहूँ ओर
                         दीक्षार्थी बढ़ रहे हैं संयम पथ की ओर
    घर-परिवार, संपत्ति का कर दिया त्याग
                         महावीर की पाठशाला में कर्म खपाने लगाएंगे जोर।

10] यौवन में ही संयम धारा
                            जैन धर्म में चमका सितारा
      संयम के कटीले मार्ग पर किया प्रयाण
                             नतमस्तक है जीवन हमारा।

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