वात्सल्यता के कारण आस पास के लगभग
30 संत सतीयां दर्शनार्थ पहुंचे !
पुणे, सभी जीवो के प्रति करुणा के भाव रखने वाले, मेरे कारण किसी भी आत्मा को दुख ना हो इसका सदैव चिंतन करने वाले, चाहे कितनी भी वेदना हो स्वाध्याय-तप-जप में एक क्षण भी प्रमाद ना करनेवाले त्यागी, सरलमूर्ति, सुस्वभावीं प. पू. डॉ उपप्रवर्तिनी प्रियदर्शनाजी म. सा. अपनी साधना के उच्चतम शिखर पर कोथरुड स्थानक के प्रांगण में अपने अंतिम संकल्प को पूरा करने जा रहे हैं। घोड़नदी के चोपड़ा परिवार के आंगन को दमकाकर जिन्होंने जिनशासन की प्रभावना करने के लिए संयम रूपी कटीले पथ को अपनाया।