Hindi Poem on Jain Dharm
जैन धर्म की क्या महत्ता है, इसे काव्य पंक्तियों में पिरोने का एक छोटा सा प्रयास मैने किया है, उसे आपके समक्ष रखना चाहती हूं।
अत्यंत पुण्यवाणी से मिला हमें अहिंसा परमो धर्म,
पर समझा नहीं हमने जीवन में इसका मर्म।
सम्यक ज्ञान, दर्शन, चरित्र है हमारे धर्म के मूल,
न जाने क्यों जिसे हम गए हैं भूल..?
चौबीस तीर्थंकरों ने की अद्भुत दया,
बरसाई हम पर जिनवाणी रूपी छत्रछाया।
त्रस स्थावर के साथ समझाया छः काय का स्वरूप,
मोक्ष धाम को पा लेंगे बन जाए धर्म के अनुरूप।
भावी पीढ़ी पर देंगे जिन धर्म के संस्कार,
तभी तो जैनी बनना होंगा हमारा साकार।
धार्मिक वह नहीं जो बन गया आगमों का ज्ञाता,
बल्कि वह जिसने जोड़ लिया हर पल धर्म से नाता।
श्वेतांबर दिगंबर है दो हमारे धर्म के पंथ,
आपस में उलझ कर ना दे हमारे धर्म का अंत।
थाम कर एक दूसरे का हाथ हमारे धर्म का झंडा लहराना,
जैन धर्म को अब हमें घर-घर है पहुंचाना।