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नये उत्साह-उमंग के साथ दिल में पनप रहे, नये अरमानों को ऊँची उड़ान देने के लिये हम रोमांचित है। ‘जैन परम्परा’ भारत में सर्वाधिक संप्रदाय रहित जैन मासिक पत्रिका… जिसके संस्थापक श्रध्देय श्री. फुलचंदजी कटारिया जिन्होंने बड़े ही निष्ठा के साथ इसे हर जैन तक पहुंचाने का अथक प्रयास किया। लगभग ३९ साल पहले जैन परम्परा मासिक पत्रिका का एक बीज अंकुरित हुआ और देखते-देखते आज उसका इस विशाल वृक्ष में रुपांतर हुआ। आदरणीय श्रध्देय श्री. फुलचंदजी कटारिया इन्होंने बडे ही शिद्दत के साथ धार्मिक, सामाजिक, व्यवसायिक गतिविधीयों को पाठकों के मनमंदिर में बसाया। उन्हीं के आयाम को साकार करने के लिये हम उत्साहित है। जैन परम्परा मासिक पत्रिका एक बहुत ही सुंदर दालन है, समाज के हर पहलुओं को निखारने का। आध्यात्मिकता के साथ उद्यमजगत, महिलाजगत, वास्तुजगत, युवाजगत, कैरियर जगत, बालजगत, स्वास्थ्यजगत, भविष्यजगत, कहानीजगत, कविताएं आदि कई स्तंभों की विस्तृत जानकारी आप तक पहुँचाने के लिए हम प्रयासरत है।

जैन परम्परा का मकसद है, समाज का भविष्य हमारे बाल कलाकार संस्कारों से ओतप्रोत हो, युवा जगत को सामाजिक – धार्मिक कार्य में जोडने की हम शृंखला बने, नारीयों की शोभा बनें, बुजुर्गो के दिल की धड़कन बनें! ये सब तभी संभव है, जब आपका सहयोग, आशिर्वाद, शुभकामनायें हम पर बरसती रहेंगी।

जैन परम्परा मासिक पत्रिका को सरताज बनाकर, अपनों से अपनों तक हर जैन खबर पहुंचाकर, जैन समाज को बुलंदियों के शिखर पर पहुंचाया जाए… इन्ही शुभभावों के साथ…

जैन परम्परा है जैनीयों की बुलंद आवाज,
समाज के चहुमुखी विकास के छुपे जिसमें राज ।

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  1. फोन: 7030516364, 9028516364
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